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Friday, May 21, 2010

लैला’ तूफान कैसे पड़ा नाम


फारसी में ‘लैला’ का मतलब है स्याह बालों वाली सुंदरी या रात। जब विश्व मौसम संगठन ने भारतीय मौसम विभाग को हिंद महासागर में आने वाले तूफानों पर नजर रखने और उसका नाम रखने की जिम्मेदारी सौंपी तो पाकिस्तान ने आईएमडी को ‘लैला’ नाम सुझाया। आईएमडी भारत के अलावा बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका को मौसम संबंधी परामर्श जारी करता है। आईएमडी ने इन देशों से भी तूफानों के लिए नाम सुझाने को कहा। इन देशों ने अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम के अनुसार नामों की सूची दी।

अगला नाम बांदू होगा
अगले तूफान का नाम बांदू होगा। इसका सुझाव श्रीलंका ने दिया है। तूफानों के नाम की परंपरा बीसवीं सदी के शुरू से चल रही है जब एक आस्ट्रेलियाई विशेषज्ञ ने उन राजनीतिज्ञों के नाम पर बड़े तूफानों के नाम रखे जिन्हें वह पसंद नहीं करता था। अमेरिकी मौसम विभाग ने १९५३ से तूफानों के नाम रखने शुरू किए। उप महाद्वीप में यह चलन 2004 से शुरू हुआ।

उत्तर भारत में आंधी के आसार
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों और तेलंगाना क्षेत्र में अगले 24 घंटों के भीतर भारी बारिश की आशंका है। इसके अलावा आंध्र के तट पर अगले 12 घंटों के दौरान 100-110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने का भी अनुमान है। मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है। आईएमडी के अनुसार अगले 48 घंटों के भीतर पूर्वोत्तर राज्यों, उत्तरी व तटीय उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के कुछ इलाकों में भारी बारिश हो सकती है। लगभग पूरे उत्तर भारत में गर्मी का प्रकोप जारी है। राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और विदर्भ में भीषण गर्मी के साथ लू से लोगों का बुरा हाल है। बिहार के कुछ हिस्सों में गुरुवार को हुई बारिश से हालांकि लोगों को कुछ राहत मिली है। दक्षिणी और दक्षिण पश्चिमी हवाओं से पूर्वोत्तर के राज्यों में आर्द्रता बढ़ गई है।

एक नजर में:

-अप्रैल २०१० में बिहार और पश्चिम बंगाल और असम में चक्रवाती तूफान से तबाही, १३० लोग मरे

-मई २००९ में बंगाल की खाड़ी से उठे आईला तूफान से पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और बांग्लादेश में जान माल का नुकसान। १५ लोगों की मौत हुई और लगभग सात हजार लोग प्रभावति हुए।

-२३ अगस्त २००५ को अमेरिका में आए तूफान कैटरीना ने भयंकर तबाही मचाई। तूफान से करीब १८३६ लोगों की मौत हो गई।........... अमर उजाला

Saturday, May 8, 2010

पार्लियामेंट में सांस छोड़ती नैतिकता

पार्लियामेंट,जहां हमारे देश  के प्रतिनिधि जाते हैं। जो हमारे देश का गौरव है।जिससे हमारे देश की छवि बनती है। वहीं पिछले कुछ दिनों में हमारे प्रतिनिधियों को बच्चों की तरह झगड़ते देखा गया । कभी सुदीप बंदोपाध्याय और वासुदेव आचार्य के बीच तना तनी हुई तो कभी भाजपा नेता अनंत कुमार सरेआम लालू को देशद्रोही कह गए। इस तरह की घटनाऐं कहीं ना कहीं हमारे देश की अस्मिता पर चोट पहुंचाती है।
संसद का बजट सत्र शुक्रवार को सम्पन्न हो गया। इस सत्र में हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही में काफी बाधाऐं आईं। आपत्तिजनक टिप्पनियों के तीन मामले इस सत्र में उठे। लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार और राज्यसभा स्पीकर हामिद अंसारी दोनों ने इसे गंभीर मसला बताया। हंगामें के कारण जहां लोकसभा के 69 घंटे 51मिनट बेकार हुए वहीं राज्यसभा के 40 घंटे हंगामें की भेंट चढ़ गए। संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने भी इस विषय पर गहरी चिंता जताई।