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Thursday, February 4, 2010

हाँ कुछ कहना चाहती हूँ


हाँ कुछ कहना चाहती हूँ मैं
खुद के अंदर सिमटे सूखे पत्ते
को हटाना चाहती हूँ
थोड़ी खडखड़ाहट है , कुछ गले
कुछ कच्चे पत्ते भी हैं
पोंछ निकलना है सबकुछ
कुछ गले पत्ते का गीलापन
अंदर रह गया है
कुछ सूखे पत्ते के बुड़ादे भी हैं ,
उसमे चिपके हुए
और
शायद हरे पत्ते सारे निकल गए हों
कुछ और खाली करना है अभी
अभी थोड़ी जगह ही खाली हुई है
बस एक पैर की जगह बनी है अभी तो
बैठने की जगह चाहिए अभी तो
हाँ, कुछ और खाली जगह चाहिए
हुवा में टंगा है पैर अभी तो
टहनिओं से टकराती हुई
अभी तो कई लाशों को निकलना है
गले -सड़े कचड़े को हटाना है
और ,
सभी धब्बों को भी साफ़ करना है
बैठने की जगह बनानी है अभी तो ...........